बंद करना

    प्राचार्य

    इन्टरनेट और तकनीक के इस युग में विद्यार्थी चामत्कारिक रूप से बिजली के उपकरणों जैसे मोबाइल फोन, आई –पैड की ओर आकर्षित हो रहे हैं और अपना बहुमूल्य समय वाट्सअप, फेसबुक और सेल्फी इत्यादि में व्यतीत कर देते हैं |एक समय पर तो ये प्रलोभन बहुत सुंदर, उत्साहित और रुचिकर लगते हैं, लेकिन विद्यार्थियों को इन सबके बजाय स्वयं को परम्परागत आदतों जैसे–बागवानी, टिकट –संग्रह, पुस्तकपठन, पर्यटन आदि से पूर्ण तया स्वतंत्र कर लिया है और स्वयं को छोटे डिब्बों तक सिमित कर दिया हैं|उनका अपने माता–पिता, मित्रों, समाज के साथ मौखिक संवाद घटता ही जा रहा हैं|परिणामस्वरूप वे व्यक्तित्व के कुछ पहलू जैसे–सामाजिकसम्बन्ध, संचारक्षमता, लेखनकौशल, शारीरिकविकास, पढ़ने की आदत आदि सब अपना प्रभाव खो रहे हैं|
    अभिभावक और अध्यापकगण को अत्यधिक जागरूक होना चाहिए क्योकि ये बिजली से चलने वाले उपकरण दोहरे सिरेवाली तलवारों के समान हैं| एकतरफ तो ये आज के संचार और शैक्षिक तकनिकी के संसार मे लाभदायक हैं, वहीं दूसरी और, ये नुकसानदायक भी हैं|बच्चे इसे तकनीक का अश्लील यू–टयूब विडियो देखने में दुरूपयोग कर रहे हैं| अतः तकनीक का सदुपयोग तभी संभव हैं जब बच्चे बड़ों की देखरेख में इसका प्रयोग करें|